जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।
जलचक्र जल के सम्पूर्ण जीवन चक्र के बारे में हमें बताता है। यह चक्र जलवाष्पों (हाड्रोजन+आऑक्सीजन) के ठंडे होकर वर्षा की बूंदों में परिवर्तित होकर पृथ्वी पर बरसने से शुरू होकर समुद्रों में जमा होकर फिर से सूर्य के तापमान में पुनः जलवाष्प के रुप में वापस पूरा होता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। लेखक ने ‘पानी की कहानी’ में जल के बूंद की जीवनयात्रा को उसकी अपनी जुबानी हमें विस्तार से बताया है कि किस प्रकार से पानी गैसों से निकल कर अस्तित्व में आया और किस प्रकार से यह ग्लैशियरों के रूप में पहाड़ों की चोटियों पर ठोस अवस्था में पाया गया। इसके द्रवीभूत होने का कारण तापमान बना जिसने ठोस वर्फ को जल में परिवर्तित कर दिया। यह जल समतल भूमि में आकर नदियों, तालाबों इत्यादि के रुप में प्रवाहित होता है। ये नदियां रास्ते में आने वाली चट्टानों को तोङ डालती है। पेङों को उखाड़ फेंकती है। ये नदियां अंततः समुद्र में जा मिलती हैं। वहां यह समुद्री जीवों के संपर्क में आती हैं। फिर यही पानी ज्वालामुखी से गैस का रूप लेकर बाहर आता है।